सादर अभिवादन
पाँच लिंकों का आनन्द
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
शनिवार, 20 अप्रैल 2024
4102 ..ब्लॉग हमारा घर है। लौट के हमें यहीं आना था
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
4101....हृदय की मौन.भाषा
कौन कहता है गर्मियाँ खूबसूरत नहीं होती?
कितनी बुरी होती है न?
बाकी मौसम का आना-जाना लगा हुआ है।
आपने सोचा नहीं था न?....
सुविधायुक्त जीवन जीने की लालसा में।
अमूल्य अंगूठी की तरह खो जाती हैं
समय के गर्त में, जिसे उम्र भर
हम खोजते रह जाते हैं बस
स्मृति कुंज में पड़े रहते हैं
कुछ टूटे हुए अक्षर के
कंकाल, कोहरे में
भटकती रह
जाती है
प्रणय
उन्नति के कार्यक्रम में नौ-दस लाख का बिल दिखलाया गया।और इस बिल का भुगतान तीन-चार जगहों से करवाया गया! यानी मुश्किल से लगभग तीन-चार लाख का खर्चा हुआ मिला लगभग तीस-चालीस लाख मिला!”
गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
4100...आहद अनहद सब में हो तुम...
शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनिता सुधीर जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
मर्यादाओं की स्थापना करते हुए उन्हें चरितार्थ करते हुए, आदर्श स्थापित करते हुए राम अपनी भूमिका में व्यक्ति के रूप में सफल रहे और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। राम के आदर्श आज व्यावहारिक जीवन में आत्मसात करना स्वप्न-सा लगता है। सामाजिक मूल्यों का वर्तमान जीवन से पलायन पुनि-पुनि राम का स्मरण कराता है।
गुरुवारीय अंक में पढ़िए पाँच पसंदीदा रचनाएँ-
सूख गए सब रस
कविता खो गई
पथ भीगा मिला
यूँ साँझ हो
गई ।
सूर्य
रश्मि ने किया वंदन
भाल पर
रघुवीर के सूर्य तिलक!
पा कर
स्पर्श प्रभु राम का
धूप हुई
संजीवनी बूटी सम।
आहद अनहद सब में हो तुम
निराकार साकार रूप तुम
विद्यमान हो कण कण में तुम
ऊर्जा का इक अनुभव हो तुम
झांका जब अपने अंतस में,
वरद हस्त अनमोल रहा है
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा है।
सफलता जोश से मिलती है, रोष से नहीं
रखे रखे
बिन बांटे मिठाइयां कसैली हो गईं हैं,
विमोचन
करते करते किताबें भी मैली हो गईं हैं।
पुस्तक
मेले में छोटे प्रकाशक की बड़ी दुर्गति होती है,
अज़ी हम से
ज्यादा तो चाय वाले की बिक्री होती है।
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फिर
मिलेंगे।
रवीन्द्र
सिंह यादव
बुधवार, 17 अप्रैल 2024
4099..भाल पे मोती जड़ा...
।।प्रातःवंदन ।।
"जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥"
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अवतरण के अति पावन दिवस श्रीरामनवमी की आप सभी को हार्दिक बधाई..प्रस्तुतिकरण को आगे बढ़ते हुए लिजिए आज
सुबह-सुबह लो राम का नाम,✍️
पूरे होंगे बिगड़े अधूरे काम
राम जिनका नाम है, अयोध्या जिनका धाम है,
ऐसे रघुनंदन को हमारा प्रणाम है।
✨️
एक तरुवर हँस रहा था
मंजरी के बौर से हर
एक टहनी कस रहा था
भाल पे मोती जड़ा
जगमग टिकोरों का मुकुट
✨️
सुनिये, सम्भल के बोलिए
वरना नहीं दिक्कत कोई
बात करना छोड़िये।
आज की तारीख में मँहगा सलीका हो गया
जानते हैं हम,
✨️
हर प्लीज का, मतलब रिस्पेक्ट नहीं होता
कुछ प्लीज किसी को मजबूर करने के लिए भी
'यूज़ किए जाते..
✨️
अगर मुझसे को पुरस्कार की परिभाषा लिखने को कहे तो वह कुछ इस तरह होगी--"पुरस्कार ऐसा पारस है जो लोहे को भी सोने का रूप देकर चमका देता है . ” पुरस्कार पाकर गुमनामी के पाताललोक में पड़ा नाम अचानक अखबारों में ..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
4098...थोड़ा-सा आसमान थोड़ी सी ज़मी
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
इक इशारे के साथ
घोड़ों को घसीटता
शेर्रों को कुत्ता बना कर लपेटता होगा
पागलों की किताबें
पागलों के जंगल में बैठ कर
पाठ्यक्रम
जहाँ पगडंडियाँ भी नहीं थीं,
वहां हमने बना ली हैं सड़कें,
जहाँ चरवाहे भी नहीं जाते थे,
वहां हम मनाने लगे हैं पिकनिक.
चिड़ियाँ चहचहाती थीं जहाँ,
वहां अब गूंजते हैं फ़िल्मी गाने,
खो चुके हैं पहाड़ अब
अपना सारा पहाड़पन.
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